तुम नहीं हो दूर मुझ से

मन तुम्हारा जब भरे तब नयन मेरे भीग जाते ,
शूल चुभता जब तुम्हें तब पांव मेरे टीस पाते,
तुम नहीं हो दूर मुझ से मुझ में ही हो तुम समाये,
तुम हंसो जब खिलखिलाकर जन्म कई गीत जाते.
अनिल आर्य

Comments

  1. very nice, Gorakhpur ki jhamajham barish me in lins ne bahut majja diya.
    satyendra

    ReplyDelete
  2. तुम नहीं हो दूर मुझ से मुझ में ही हो तुम समाये,
    तुम हंसो जब खिलखिलाकर जन्म कई गीत जाते.

    इसमे जन्म कई गीत जाते.समझ नही आया या तो बीत जाते हो या गीत गाते होना चाहिये या शायद मै समझ नही पा रही हूँ...

    वैसे भाव बहुत सुन्दर है

    मेरी कविता पढ़ने के लिये बहुत-बहुत शुक्रिया।
    सुनीता(शानू)

    ReplyDelete
  3. सुनीता जीं, धन्यवाद... प्रिय की ख़ुशी से तन- मन आल्हादित हो उठता है... उनकी ख़ुशी न केवल कई नए गीतों को जन्म देने वाली होती है वरन अंग-प्रत्यंग को पुलकित कर कुछ नया नूतन रचने के लिए प्रेरित करती है.... यही तो प्यार है जो जीने की ललक पैदा करता है...

    ReplyDelete

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Bhairo Baba :Azamgarh ke

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का

आइए, हम हिंदीजन तमिल सीखें